इंडिकेटर का नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकें2 – बोललिंगर बैंड्स ( Bollinger Bands ) – यह इंडिकेटर भी ट्रेडर के बीच काफी लोकप्रिय है। इसमें कुछ बैंड्स होते हैं। जब किसी स्टॉक का भाव इनके ऊपरी बैंड्स के आसपास होता है तो ये अनुमान लगाया जाता है कि इस स्टॉक का भाव बढ़ रहा है।
इंडिकेटर कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंटेक्निकल इंडिकेटर्स दो प्रकार के होते हैं लीडिंग (Leading) और लैगिंग (Lagging)। एक लीडिंग इंडिकेटर कीमत के आगे चलता है, जिसका अर्थ है कि आम तौर पर यह पहले से ही ट्रेंड में रिवर्सल (यानी बदलाव) या एक नए ट्रेंड के बनने का संकेत दे देता है।
कैसे MACD संकेतक का उपयोग करने के?
इसे सुनेंरोकेंMACD indicator Hindi का उपयोग स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग में किया जाता है, और यह व्यापारियों को खरीदने और बेचने का संकेत प्रदान करता है। एमएसीडी ट्रेडिंग बहुत लोकप्रिय है, खासकर इसके उपयोग में आसानी और दक्षता के लिए। व्यापारी व्यापारिक अवसरों की पहचान करने के लिए वित्तीय बाजारों इंडिकेटर क्या है में इस सूचक का उपयोग करते हैं।
सूचक क्या है उदाहरण सहित?
इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक सूचक :-वैसे सूचक जिन्हें प्राकृतिक श्रोत से प्राप्त किया जाता है प्राकृतिक सूचक कहलाता है । जैसे – लिटमस, हल्दी ,प्याज, लाल पत्ता गोभी,वैनिला,लौंग आदि । मानव निर्मित सूचक :- वे सूचक जिन्हें प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है मानव निर्मित सूचक कहलाता है जैसे -फेनाॅल्फथैलीन,मिथाईल आॅरेंज आदि ।
सूचक कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित बताइये?
इसे सुनेंरोकेंसूचक दो प्रकार के होते हैं-(1) प्राकृतिक सूचक, (2) संश्लेषित सूचक। 1. प्राकृतिक सूचक-ऐसे सूचक जो प्राकृतिक पदार्थों, जैसे हल्दी, लिटमस आदि से प्राप्त हों, प्राकृतिक सूचक कहलाते हैं।
सूचक क्या है नाम लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंअम्ल और क्षार की पहचान करने मे सूचकों का उपयोग तो हम सबने किया है, लिटमस, फिनॉफ्थेलीन, मिथाइल ऑरेंज… वगैरह कितने ही सूचक हम जानते भी हैं। इन सबकी विशेषता यह है कि ये अम्लीय माध्यम में किसी एक रंग के होते हैं तो क्षारीय माध्यम में किसी और रंग के।
सूचक क्या है एक प्राकृतिक सूचक तथा एक गंधीय सूचक का उदाहरण दे?
इसे सुनेंरोकें➲ गंधीय संसूचक पदार्थ से तात्पर्य उन पदार्थों से होता है, जिन पदार्थों की गंध अम्लीय माध्यम या क्षारकीय माध्यम में परिवर्तित हो जाती है। इस तरह के पदार्थों को ‘गंधीय संसूचक’ कहा जाता है। उदाहरण के लिए वैनिला, प्याज, लौंग का तेल आदि गंधीय संसूचक के उदाहरण हैं। लौंग का तेल एक गंधीय संसूचक का उदाहरण है।
सूचक क्या है सूचक क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसूचक (Indicator) : वे पदार्थ जो अपने रंग परिवर्तन के द्वारा पदार्थ के अम्लीय (Acidic), क्षारीय (Alkaline) तथा लवणीय (Saline) होने की सूचना देते है, उसे सूचक कहते है। जैसे – लिटमस पत्र, फिनॉल्फथेलीन, मेथिल ऑरेंज, हल्दी पत्र इत्यादि।
सूचक क्या है १०६ का नाम इंडिकेटर क्या है बताएं?
प्राकृतिक सूचक किसे कहते है?…सूचक और रंग या गन्ध परिवर्तन ::
सूचक | रंग या गन्ध में परिवर्तन ( अम्ल के साथ ) | रंग या गन्ध में परिवर्तन( क्षार के साथ) |
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प्राकृतिक सूचक | ||
1.लिटमस | लाल | नीला |
सूचक कितने प्रकार के होते?इंडिकेटर क्या है
इसे सुनेंरोकेंसूचक दो प्रकार के होते हैं-(1) प्राकृतिक सूचक, (2) संश्लेषित सूचक।
डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क पर संभागीय प्रशिक्षण सम्पन्न
रायपुर। राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने कहा कि योजनाओं की निगरानी, निरंतर सुधार और कमियों की पहचान करते हुए संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के माध्यम से लक्ष्य हालिस किया जा सकता है। श्री सिंह आज सरगुजा जिला मुख्यालय में योजना आयोग द्वारा आयोजित डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क पर आधारित एसडीजी डैश बोर्ड के संबंध में एक दिवसीय संभाग स्तरीय प्रशिक्षण सत्र को संबोधित कर रहे थे।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण सत्र में कहा कि एसडीजी लक्ष्य की प्राप्ति एक दृढ़ मैराथन है, जहां इंडिकेटर क्या है सफलता केवल साक्ष्य आधारित योजनाएं, निगरानी, निरंतर सुधार और कमियों की पहचान करते हुए संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने-अपने विभाग में संचालित योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन एवं प्रगति लाकर लक्ष्य हासिल कर सकते है। उन्होंने बताया कि राज्य योजना आयोग द्वारा संबंधित सभी विभागो के साथ समन्वय कर तैयार किये गये डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क'' को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अगस्त 2022 में जारी किया था। यह अपेक्षित किया गया था कि विभागीय व जिला प्रशासन के अधिकारी इसके आधार पर प्रभावी अनुश्रवण व अनुशीलन करेंगे। डी.आई.एफ. में कुल 82 इंडिकेटर्स का समावेश किया गया है। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में ''जिला स्तरीय एस.डी.जी. क्रियान्वयन एवं निगरानी समिति'' भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित की गयी है। डैशबोर्ड का उपयोग विभागीय अधिकारी एवं जिला प्रशासन के अधिकारी योजनाओं के अनुश्रवण हेतु एक प्रभावी ''टूल'' के रूप में कर सकेंगे।
संभागायुक्त डॉ. एस. अलंग ने कहा कि राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किया गया ''डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क'' बहुत उपयोगी इंडिकेटर क्या है फ्रेमवर्क है, जो वैश्विक एस.डी.जी. लक्ष्यों को जिलो में प्रभावी रूप से लागू करने में सहायक होगा। फ्रेमवर्क को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित विभागो के जिला अधिकारी उनके विभाग की योजनाओं का प्रभावी रूप से इंडिकेटर क्या है मॉनिटरिंग कर सकेंगे। ''एस.डी.जी. डैशबोर्ड'' के माध्यम से फ्रेमवर्क के इंडिकेटर्स अंतर्गत प्राप्त प्रगति परिलक्षित हो सकेगी। जिलों को स्कोर व रैंकिंग प्रदान की जाएगी। जिससे प्रतिस्पर्धात्मक परिवेश में अंतिम व्यक्ति तक योजनओं का लाभ प्रदाय करने में तत्परता से कार्य होगा। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विश्वदीप ने कहा कि डी.आई.एफ. में इंडिकेटर्स सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय पहलुओं पर मुख्यतः केन्द्रित है जिनमें प्रगति लाने से सामाजिक-आर्थिक विकास होना सुनिश्चित है। ''एस.डी.जी. डैशबोर्ड'' के माध्यम से प्रत्येक लक्ष्य विरूद्ध प्रगति की जानकारी त्वरित रूप से प्राप्त होगी। राज्य योजना आयोग के संयुक्त संचालक डॉ. नीतू गौरडिया द्वारा ''डी.आई.एफ.'' ''एस.डी.जी. डैशबोर्ड'' तथा डाटा की महत्ता संबंध में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गयी तथा प्रतिभागियों की पृच्छता का समाधान भी किया गया।
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