UP News: वैश्विक उद्योग जगत के लिए बेहतरीन मंच होगा वैश्विक निवेशक सम्मेलन: योगी
UP News: ऑस्ट्रेलियाई निवेशकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर उत्तर प्रदेश में विविध क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की।
by Mahesh Kumar Shiva
UP News: लखनऊ। ऑस्ट्रेलियाई निवेशकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर उत्तर प्रदेश में विविध क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की। साथ ही प्रदेश में होने जा रहे वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2023 में सहभागिता के लिए उत्साह भी जताया। एक सरकारी प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह बताया।
UP News
प्रवक्ता के मुताबिक इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुखद है कि आज जब उत्तर प्रदेश का एक प्रतिनिधिमंडल जर्मनी में औद्योगिक जगत के प्रतिनिधियों, निवेशकों के साथ उत्तर प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, वहीं ऑस्ट्रेलिया की उप उच्चायुक्त सारा स्टोरे के नेतृत्व में औद्योगिक निवेशकों का एक समूह उत्तर प्रदेश के औद्योगिक माहौल का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रदेश की राजधानी में है।
उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ में 10 से 12 फरवरी, 2023 तक एक वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन कर रही है। यह सम्मेलन वैश्विक औद्योगिक जगत को आर्थिक विकास में सहयोग करने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान करेगा।
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य के 25 करोड़ नागरिक इसे भारत का सबसे बड़ा श्रम एवं उपभोक्ता बाजार बनाते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार वायु, जल, सड़क एवं रेल नेटवर्क के माध्यम से निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए त्वरित गति से बुनियादी ढांचे का विकास कर रही है, जिससे उद्योगों को वैश्विक एवं घरेलू बाजार तक पहुंच बनाने में लॉजिस्टिक्स की सुलभता में वृद्धि होगी। इसके अलावा, प्रदेश में सात क्रियाशील व छह निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे पूरे राज्य में विनिर्माण केंद्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे।
प्रवक्ता के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई दल की विविध जिज्ञासाओं का समुचित समाधान करते हुए मुख्यमंत्री ने सभी को प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। इसके साथ ही कहा कि राज्य सरकार अपने निवेशकों के व्यावसायिक हितों का संरक्षण करती रही है।
Uttrakhand: अधिकारी वंचितों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाएं : राष्ट्रपति
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।
भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र
कांडला में 1965 में एशिया के पहले ईपीजेड के खोले जाने के साथ, भारत निर्यात को बढावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) मॉडल की प्रभावोत्पादकता स्वीकार करने वाले पहले देशों में एक था । नियंत्रणों एवं मंजूरियों की विविधता; विश्व स्तरीय अवसरंचना का अभाव; और एक अस्थिर वित्तीय व्यवस्था के कारण सामने आने वाली दिक्कतों का सामना करने तथा भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, अप्रैल 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) नीति की घोषणा की गई ।
इस नीति का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य दोनों ही स्तर पर न्यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन तथा गुणवत्ता – पूर्ण अवसंरचना की सहायता से सेज को आर्थिक विकास का वाहक बनाना था । भारत में सेज 1.11.2000 से 09.02.2006 तक विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों के तहत कार्यरत रहा और आवश्यक वैधानिक प्रावधानों के माध्यम से वित्तीय प्रोत्साहनों को प्रभावी बनाया गया ।
निवेशकों में आत्मविश्वास भरने और एक स्थिर सेज नीति व्यवस्था के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देने के लिए तथा निवेशकों के सर्कल का विस्तार सेज व्यवस्था में स्थिरता लाने के द्वारा अधिक आर्थिक् कार्यकलाप और रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्शों के बाद एक व्यापक प्रारूप सेज विधेयक का निर्माण किया गया । वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारियों दोनों द्वारा इस उद्देश्य के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कई बैठकें की गईं । निवेशकों के सर्कल का विस्तार संसद द्वारा मई, 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 पारित किया गया जिसे 23 जून, 2005 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई । प्रारूप सेज नियमों पर व्यापक चर्चा की गई और सुझाव/टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए इन्हें वाणिज्य विभाग की वेबसाइट पर डाला गया । प्रारूप नियमों पर लगभग 800 सुझाव प्राप्त हुए । व्यापक परामर्शों के बाद, सेज नियमों द्वारा समर्थित सेज अधिनियम 2005, 10 फरवरी , 2006 को प्रभावी हुआ जिसमें प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी का प्रावधान था ।
सेज अधिनियम के मुख्य उद्देश्य है :
- अतिरिक्त आर्थिक कार्यकलाप का सृजन
- वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का संवर्धन
- घरेलू एवं विेदेशी स्रोतों से निवेश का संवर्द्धन
- रोजगार अवसरों का सृजन
- अवसंरजना सुविधाओं का विकास
ऐसी उम्मीद है कि इससे सेज में, अवसंरचना एवं उत्पादक क्षमता में बड़ी मात्रा में विदेशी एवं घरेलू निवेश की आवक होगी जिससे अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार अवसरों का सृजन होगा ।
सेज अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन एवं संबंधित बुनियादी ढांचे के सृजन में राज्य सरकारों के लिए एक प्रमुख भूमिका की परिकल्पना की गई है । 19 सदस्यीय अंत: मंत्रिस्तरीय मंजूरी बोर्ड (बीओए) के जरिये सिंगल विंडों सेज मंजूरी तंत्र की व्यवस्था की गई है । संबंधित राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा उपयुक्त रूप से अनुशंसित आवेदनों पर बीओए द्वारा सावधिक रूप से विचार किया जाता है । बोर्ड की मंजूरियों से संबंधित सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं ।
सेज नियमों में सेज के विभिन्न वर्ग के लिए विभिन्न न्यूनतम भूमि आवश्यकता का प्रावधान है प्रत्येक सेज एक प्रसंस्करण क्षेत्र जहॉं केवल सेज की इकाइयां ही स्थापित हो सकेंगी और एक गैर – प्रसंस्करण क्षेत्र में विभाजित होता है जहॉं सहायक अवसरंचना का सृजन किया जाना है ।
सेज नियमों में प्रावधान है :
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास , परिचालन एवं रखरखाव तथा सेज में इकाइयों एवं व्यवसाय संचालन के लिए सरल नियम ;
- सेल की स्थापना निवेशकों के सर्कल का विस्तार के लिए सिंगल विंडो मंजूरी ;
- एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक इकाई की स्थापना के लिए सिंगल विंडो मंजूरी;
- केंद्र एवं राज्य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी ;
- स्व प्रमाणन पर जोर के साथ सरल अनुपालन प्रक्रियाएं एवं प्रलेखन
सेज का मंजूरी तंत्र एवं प्रशासनिक ढांचा
मंजूरी तंत्र
डेवेलपर संबंधित राज्य सरकार के समक्ष सेज की स्थापना के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करता है । राज्य सरकार को ऐसे प्रस्ताव की प्राप्ति की तिथि से 45 दिनों के भीतर अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव को मंजूरी बोर्ड को अग्रेषित करना पड़ता है । आवेदन के पास प्रस्ताव को सीधे मंजूरी बोर्ड को प्रस्तुत करने का विकल्प भी होता है ।
मंजूरी बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा सेज अधिनियम के तहत प्रदत अधिकारों के तहत किया गया है । मंजूरी बोर्ड में सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं । मंजूरी बोर्ड में 19 सदस्य होते है । इनकी संरचना निम्न प्रकार से है :
पंजाब में बनेंगे 20 ग्रामीण औद्योगिक हब, उद्योगपतियों के साथ मीटिंग में मुख्यमंत्री का ऐलान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य भर में 20 समर्पित ग्रामीण औद्योगिक हब स्थापित करने का ऐलान किया है। औद्योगिक नीति के मसौदे के बारे विचार जानने के लिए यहां पंजाब सिविल सचिवालय में उद्योगपतियों के साथ मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम दो उद्देश्यों की पूर्ति करेगा, क्योंकि यह एक तरफ जहां औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा। वहीं, दूसरी तरफ ग्रामीण नौजवानों के लिए रोजग़ार के नये आयाम सृजित करेगा। उन्होंने कहा कि यह हब उद्योगपतियों को अपने यूनिट स्थापित करने में सुविधा देने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ लैस होंगे। भगवंत मान ने इन औद्योगिक हबों में अपने यूनिट स्थापित करने के इच्छुक उद्योगपतियों को पूर्ण सहयोग और तालमेल का भरोसा दिलाया और कहा कि राज्य सरकार पंजाब में औद्योगिक विकास में तेज़ी लाने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने अलग.अलग जिलों की ख़ास वस्तुओं के उत्पादन को यकीनी बनाने के लिए एक जि़ला, एक उत्पाद का विचार भी पेश किया। इससे औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और उद्यमियों को एक जिले में से बढिय़ा गुणवत्ता वाले उत्पाद पैदा करने के योग्य बनाया जाएगा।
भगवंत मान ने कहा कि राज्य भर के बहुत से जिलों में कई उत्पादों में महारत है और इसकी संभावना को एक जि़ला, एक उत्पाद पर केंद्रित करके आगे बढ़ाया जा सकता है। एक अन्य एजंडे पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार निवेशकों की सुविधा के लिए सिंगल विंडो प्रणाली को और मजबूत करने के लिए सख्त यत्न कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अनुप्रयुक्त नीतियों के साथ उद्योगों के लिए शांत माहौल और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा, राज्य में औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल माहौल मुहैया करता है। भगवंत मान ने कहा कि इससे पहले सिंगल विंडो सेवा सिफऱ् एक धोखा थी, जिसमें कोई सार्थक मकसद नहीं था, जिसने न सिफऱ् संभावित निवेशकों का हौसला घटाया, बल्कि राज्य के औद्योगिक विकास को ठेस पहुंचाई।
MP News : राज्य सरकार की बड़ी तैयारी, नियम में होगा संशोधन, शीतकालीन सत्र में पेश होगा विधेयक, मिलेगा लाभ
MP Shivraj Government : प्रदेश के अनुपयोग की संपत्ति की नीलामी में छूट देने का प्रावधान है। अलग-अलग व्यवस्था के कारण लगातार इसमें परेशानी देखी जा रही है। निवेशकों को आकर्षित करने और विभिन्न विभिन्न संस्थाओं की स्थापना के लिए सरकार द्वारा स्टांप शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है। अब नगर पालिक विधि नियम में संशोधन का निर्णय लिया गया है।
MP Shivraj Government : मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार बड़ी तैयारी में है। सरकार ने नियम में संशोधन का निर्णय लिया है 19 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। प्रदेश के नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा संशोधन विधेयक पेश किया जाना है।
इस नियम के तहत सरकार द्वारा यदि किसी संस्था को स्टांप ड्यूटी में छूट दिया जाता है तो नगरीय निकाय उससे अधिक से स्टांप ड्यूटी नहीं वसूल सकेंगे। अभी के वर्तमान नियम नगरपालिका अधिनियम में अलग से स्टांप ड्यूटी दिए जाने का प्रावधान है। सरकार द्वारा इसे समाप्त करने की तैयारी की जा रही है ताकि किसी भी तरह का अंतर्विरोध ना रहे।
स्टांप शुल्क में छूट का प्रावधान
प्रदेश के अनुप्रयोग की संपत्ति की नीलामी में छूट देने का प्रावधान है। अलग-अलग व्यवस्था के कारण लगातार इसमें परेशानी देखी जा रही है। निवेशकों को आकर्षित करने और विभिन्न विभिन्न संस्थाओं की स्थापना के लिए सरकार द्वारा स्टांप शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है। अब नगर पालिक विधि नियम में संशोधन का निर्णय लिया गया है।
शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक पेश
इसके तहत सरकार जिन संस्थाओं को स्टांप शुल्क में छूट देती है। उनसे निकाय द्वारा अतिरिक्त स्टांप शुल्क लिया जाता है। अलग-अलग व्यवस्था में परेशानी भी हो रही है। निवेशकों को औद्योगिक इकाई के प्रोत्साहन नीति के तहत शुल्क में छूट देती है। इसी अंतर्विरोध को समाप्त करने के लिए शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।
मामले में नगरीय विकास और आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में प्रावधान है कि नगरीय निकाय की सीमा के भीतर संपत्ति पर स्टांप शुल्क लिया जाएगा। वही यही व्यवस्था नगर पालिका और नगर परिषद में भी लागू है। जिसको लेकर संशोधन की तैयारी की गई है।
निवेश की दृष्टि से भी मध्यप्रदेश एक आदर्श राज्य
निवेश की दृष्टि से भी मध्यप्रदेश एक आदर्श राज्य के रूप में उभर रहा है। चार बड़ी कंपनियां मध्यप्रदेश में निवेश कर चुकी है। जिनमें अब तक 5350 लोगों को कार्य मिला है। वहीं विदेशी निवेशकों को भी मध्य प्रदेश बुलाने की तैयारी राज्य सरकार द्वारा की जा रही है। बीते दिनों इन्वेस्टर मीट में सीएम शिवराज ने कहा कि हम मध्य प्रदेश को इंटरनेशनल स्तर पर प्रमोट करेंगे। ऐसे में निवेश की दृष्टि से भी यह संशोधित नियम काफी महत्वपूर्ण साबित हो जाएंगे।
निवेशकों के सर्कल का विस्तार
छत्तीसगढ़ की नवीन औद्योगिक नीति 2019-2024 में फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों निवेशकों के सर्कल का विस्तार को प्राथमिकता दी गई हैं। सेवा क्षेत्र को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कृषि, लघु वनोपज, वनौषधियों, उद्यानिकी फसलों पर आधारित उद्योगोें को प्राथमिकता दी जा रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में उद्योग और व्यापार जगत के लोगों से विस्तृत विचार विर्मश के बाद तैयार की गई नई औद्योगिक नीति में किए गए इन प्रावधानों से छत्तीसगढ़ औद्योगिक नवाचार की संभावनाओं से भरपूर राज्य के रूप में तेजी से उभर रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक नीति के अंतर्गत स्टार्टअप इकाईयों को प्रोत्साहित करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्टअप पैकेज लागू किया गया है। मान्यता प्राप्त 688 स्टार्टअप इकाईयों में से 508 इकाईयों को बीते चार वर्षो में पंजीकृत कर विशेष प्रोत्साहन पैकेज का लाभ दिया जा रहा है। एम.एस.एम.ई सेवा श्रेणी उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बी.पी.ओ. 3-डी प्रिंटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मेडिकल उपकरण तथा अन्य सामग्री निर्माण के लिए उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन देने का प्रावधान भी किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 10 नवीन फूड पार्क की स्थापना की स्वीकृति दी गई है। सुकमा में 5.9 हेक्टेयर भूमि पर फूड पार्क की स्थापना के लिए आवश्यक अधोसंरचना निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। राज्य में 200 फूड पार्क की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश के 146 विकासखण्डों में से 112 विकासखण्डों में फूड पार्क के लिए जमीन चिन्हांकित कर ली गई है। इसमें से 52 विकासखण्डों में 620 हेक्टेयर भूमि का अधिपत्य उद्योग विभाग को दिया गया है।
उद्योगों को दी जा रही अनेक रियायतें
अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला वर्ग के उद्यमियों द्वारा 5 करोड़ के पूंजी लागत तक के नवीन उद्योग की स्थापना पर 25 प्रतिशत अधिकतम सीमा 50 लाख मार्जिन मनी अनुदान देने का प्रावधान। औधोगिक नीति 2019-24 में वनांचल उद्योग पैकेज के अंतर्गत स्थापित होने वाली इकाईयों को कुल निवेश का 50 प्रतिशत, 5 वर्षो में अधिकतम 50 लाख प्रति वर्ष अनुदान देने का प्रावधान। औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया था, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी की गई है। राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक इकाईयों को 423 करोड़ रूपए स्थाई पूंजी निवेश अनुदान और 141 करोड़ ब्याज अनुदान दिया गया है।
ऐसे अनेकों प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में नये उद्योगों की स्थापना हो रही है। राज्य में 10 साल या उससे अधिक समय से उत्पादनरत् औधोगिक इकाईयों को लीज पर आबंटित भूमि को फ्री-होल्ड कर निवेशकों को मालिकाना हक दिया जा रहा है, ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है। उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं। ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिसमें दुकान पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस तक शामिल निवेशकों के सर्कल का विस्तार हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति में उद्योगों की स्थापना के नियमों का सरलीकरण किया गया है। उद्यमियों को अनेक रियायतें दी जा रही है। स्वीकृति की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया गया है, इससे प्रदेश में उद्योग के लिए अनुकूल माहौल बना है और पूंजी निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। सरकार द्वारा नई औद्योगिक नीति में ऐसे अनेक प्रावधान किये गए हैं, जिनसे नवीन उद्योगों की स्थापना के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहन मिल रहा है और नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं। इससे प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ रही है।
इज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है। राज्य सरकार ने निवेशकों के सर्कल का विस्तार नई औद्योगिक नीति 2021-2024 में उद्योगों की स्थापना से जुड़े नियमों को सरल बनाया है। पहले उद्योगों को स्थापना से पूर्व की प्रक्रियाओं में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। विभागीय स्वीकृति, कागजी कार्यवाही एवं अन्य कठिनाईयों के कारण उद्योग की स्थापना की प्रक्रिया में विलंब होता था। नई औद्योगिक नीति में इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए उद्योगों को विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है एवं कठिन प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है।
प्रदेश में 21 हजार करोड़ रूपए से अधिक का पूंजी निवेश, 2218 नए उद्योग स्थापित
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा औद्योगिक विकास को गति देने के लिए गए निर्णय के परिणाम स्वरूप राज्य में पिछले 4 वर्षो में 2218 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 21 हजार 457 करोड़ रूपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 40 हजार 324 लोगों को रोजगार मिला है। प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना के लिए 167 एमओयू किये गए हैं। जिसमें 78 हजार करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित हैं। इससे 90 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इन्हे मिलाकर वर्तमान स्थिति में उद्योगों की स्थापना के लिए 177 एम.ओ.यू. प्रभावशील हैं, जिसमें 89 हजार 597 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश और 1 लाख 9 हजार 910 लोगों को रोजगार दिया जाना प्रस्तावित है। 90 से अधिक इकाईयों द्वारा उद्योग स्थापना की प्रक्रिया में 4 हजार 126 करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश पर 11 इकाईयों ने व्यवसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है।
कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण आधारित 486 इकाइयां स्थापित
राज्य में साढ़े 3 सालों में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित 486 इकाइयां स्थापित हुई हैं जिसमें 9 सौ 31 करोड़ रूपए का पूंजी का निवेश हुआ है। इसी तरह से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में नई औद्योगिक नीति के क्रियान्वयन से रोजगार, स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। बीते चार सालों में राज्य के निर्यात में तीन गुना वृद्धि आई है। वर्ष 2019-20 में 9067.29 करोड़, वर्ष 2020-21 में 17199.97 करोड़ तथा वर्ष 20121-22 में 25241.13 करोड़ रूपए का चावल, आयरन एवं स्टील एल्यूमिनियम एवं एल्यूमिनियम उत्पादों का निर्यात हुआ है।
उद्योगों की स्थापना के नियमों के सरलीकरण और उद्यमियों को दी जा रही रियायतों से प्रदेश में उद्योग के लिए अनुकूल माहौल बना है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 343