सेबी का नया नियम: शेयर बेचने के एक दिन के भीतर होगा निवेशकों को भुगतान, 25 फरवरी से लागू होगी टी प्लस वन व्यवस्था
भारतीय प्रतिभूति मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य के आधार की जाएगी।
विस्तार
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य के आधार की जाएगी।
सेबी के नए पीक मार्जिन नोम्र्स इक्विटी की तुलना में कमोडिटीज़ के ट्रेडिंग को अधिक प्रभावित किया है
सेबी द्वारा मार्जिन के नियमों में बदलाव ने पिछल कुछ महीनों में ट्रेडिंग वॉल्यूम को प्रभावित किया है। लेकिन यह बदलाव से इक्विटी की तुलना में कमोडिटीज़ के ट्रेडिंग वॉल्यूम को अधिक प्रभावित किया है।
आइये पहले यह जान लेते हैं कि यह मार्जिन क्या होता है। मार्जिनए एक स्पेसिफीक अमाउन्ट होता है, जोकि ट्रेडर्स को ट्रेड एक्ज़िक्यूट करने से पहले अपने ब्रोकर को देना होता हैए यह अमाउन्ट टोटल टर्नओवर वेल्यू का एक पार्ट ही होता है। मार्जिन अकाउंट में होगा तभी ही ट्रेडर अपना ट्रेड एक्जिक्यूट कर पायेगा और यह अमाउन्ट अपफ्रंट लिया जाता है।
अब सवाल यह होता है कि यह मार्जिन लिया क्यूं जाता है। कोई भी ट्रांजैक्शन हो, वो कम से कम दो पार्टी के बीच होता है। तो ब्रोकर के पर्सपेक्टीव से काउन्टरपार्टी के जोखिम को कम करने के लिए मार्जिन अमाउन्ट लिया जाता है। ब्रोकर्स अपने नए ग्राहकों को लूभावने के लिए इंट्रा-डे में ट्रेडर्स को लिमिट ज्यादा दे देते थेए वो ऑनऊर करते थे हाई अमाउन्ट ऑफ लिवरेज, जिससे ब्रोकर का जोखिम बढ़ जाता था और ट्रेडर्स भी अपनी कैपेसिटी से ज्यादा का लिवरेज यूज़ करते हुए बड़े ट्रेड करते थे। जिससे मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम ट्रेडर्स का भी जोखिम बढ़ जाता था। तो ब्रोकर और ट्रेडर्स के जोखिम को कम करने के लिए सेबीने नया पीक मार्जिन रूल्स का अमल करना शुरू कर दिया है।
आइए अब जानते हैं कि कितने प्रकार के मार्जिन होते हैं :
1.ङ्कड्डक्र (वार) यानि की वेल्यू एट रिस्क: एसेट क्लास में कुछ दिनों की भाव घटबढ़ को ध्यान में रखकर तय किया जाता है।
2. एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन: एक्स्ट्रीम स्थिति में जो लॉस हो सकता है तो उसे कवर करने के लिए यह मार्जिन लिया जाता है।
3. आरंभिक मार्जिन: एफएंडओ सेगमेंट में वायदा और ऑप्शंस में लॉस को कवर करने के लिए उपयोग किया जाता है। आरंभिक मार्जिन स्पेन और एक्सपोजऱ मार्जिन को एड करके बनता है।
4. स्पेन मार्जिन: जो मिनिमम मार्जिन है जोकि एफएंडओ में ट्रेड करने से पहले अकाउंट में होना ही चाहिए। यह मार्जिन एसेट प्राइस के रिस्क और वॉलेटिलिटी के आधार पर केल्क्यूलेट किया जाता है।
5. एक्सपोजऱ मार्जिन: यह मार्जिन, एक एडहोक मार्जिन होता है, जो केल्यूलेट होता है कि कितना एक्सपोजऱ एक निवेशक ने लिया हुआ है और मार्क-टू-मार्केट नुकसान को मैनेज करने के लिए होता है।
अब एक नजऱ सेबी के नए पीक मार्जिन नोम्र्स पर ड़ाल लेते हैं। 1 दिसंबर 2020 से पहले ब्रोकर्स को दिन के आखिर में एक्सचेंज को मार्जिन्स के बारे में अपडेट करना होता था, जिसे ब्रोकर को दिन में अपने हिसाब से इंट्रा-डे मार्जिन्स तय कर लेने का मौका मिल जाता था। ट्रेडर्स को काफी लिवरेज मिल जाता था और कम अमाउंट में ज्यादा बड़ी पोज़िशन ले सकते थे इसे ब्रोकर्स की भी ब्रोकरेज भी बढ़ जाती थी और ट्रेडर्स का रिस्क रिटर्न ट्रेडओवर भी बढ़ जाता था।
लेकिन अब न्यू रूल्स के मुताबिक क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस ब्रोकर के इंट्रा-डे पोज़िशन के अकाउन्ट का रेन्डमली चार बार स्नैप शॉट लेंगे और चारो बार में जो भी पीक या हाइएस्ट अमाउन्ट मार्जिन अकाउंट में होगा वो कन्सीडर किया जाएगा। अब अगर मार्जिन अमाउन्ट कम्प्लायन्स रिक्वायर्मेंट से कम दिख जाता है तो पैनल्टी लगेगी।
यह पीक मार्जिन नए रूल्स चार चरण में लागू होना है। जिसका पहला चरण 1 दिसंबर, 2020 को लागू किया गया था जिसमें पीक मार्जिन की आवश्यक्ता का 25 प्रतिशत मार्जिन को थू्र आउट मैंटेंन करना जरूरी कर दिया गया था। दूसरा चरण 1 मार्च, 2021 से लागू हुआ है। यहां आवश्यक मार्जिन का न्यूनतम 50 प्रतिशत रखना जरूरी है। तीसरा चरण 1 जून 2021 से लागू होगाए जहाँ पर न्यूनतम मार्जिन आवश्यक्ता का 75 पर्संट रखना जरूरी हो जाएगा और चौथा चरण 1 सितंबरए 2021 से शुरू होगाए यहां पर 100 पर्संट मार्जिन ब्रोकर्स को अपने अकाउन्ट में मैंटेन करना होगा।
इस नए मार्जिन नियमों लागू होने से इक्विटी और कमोडिटी के वॉल्यूम्स में इसका प्रभाव देखने मिलना शुरू हो गया है। लेकिन इक्विटी की तुलना में कमोडिटी के वॉल्यूम पर इसका अधिक प्रभाव देखने मिला है। एनएसई का ऑप्शंस में मजबूत वृद्धि के साथ डेरिवेटिव्स में औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम जो दिसंबर में रु.30.6 लाख करोड़ का था, वो ऊछलकर मार्च में रु. 44.4 लाख करोड़ का हुआ हैए जबकि एमसीएक्स का औसत दैनिक टर्नओवर मार्च में मन्थ-ऑन-मन्थ आधार पर 24 प्रतिशत की गिरावट के साथ रु.36,800 करोड़ से घटकर रु.27,800 करोड़ पर पहुंच गया है।
एमसीएक्स के कमोडिटी कनेक्ट के अप्रैल के न्यूज़लेटर में दर्शाए गए आंकड़ों के मुताबिक कमोडिटी वायदा सेगमेंट में सोना का औसत दैनिक टर्नओवर मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम जो मार्च-2020 में रु.11]196 करोड़ का था वो घटकर मार्चं-2021 में रु.5]969 करोड़ का और वॉल्यूम की दृष्टि से इसी अवधी में 27 टन सोने का वॉल्यूम घटकर 13 टन का हो गया है। जबकि चांदी की बात करें तो चांदी में 1,354 टन का वॉल्यूम घटकर 876 टन हुआ है। इसी अवधी में बुलियन का औसत दैनिक टर्नओवर रु.16,728 करोड़ से घटकर रु.11,965 करोड़ तक पहुंच गया है। इसी तरह ऊर्जा सेगमेंट की बात करें तो कच्चे तेल में औसत दैनिक टर्नओवर जो रु.11,294 करोड का और वॉल्यूम 43,826 बैरल्स का था वो घटकर रु.4,556 करोड़ का और वॉल्यूम 10,061 बैरल्स का हो गया है। एनर्जी सेगमेंट का औसत दैनिक टर्नओवर इसी अवधी में रु.13,729 करोड़ का था वह घटकर रु.8,166 करोड़ का हुआ है। बेस मेटल्स की बात करते हैं तो निकल का वॉल्यूम इसी अवधी में 23,036 टन से घटकर 13,524 टन और जस्ता का वॉल्यूम 50,211 टन से घटकर 43,769 टन का हो गया है।
इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे
जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.
क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी मार्जिन ट्रेडिंग और ट्रेडिंग वॉल्यूम ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.
1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.
2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.
3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.
5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.
डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
Brokerage advised to buy shares of this government company, can get 30% return
new Delhi. If you are looking for a stock that can give good returns amidst the ups and downs of the market, then you can look at GAIL shares. ICICI Securities has advised to buy its shares and expects an upside of 30 per cent from the current price. However, let us also tell you that this is lower than the previous target price given by the brokerage. But the brokerage has maintained its ‘buy’ rating on it. ICICI Securities has said the above things in the report released on Tuesday.
It has been said in the report that the supply of gas to GAIL from Russia’s gas company Gazprom will be affected for the next 12 months, but the company will get the benefit of better regulatory environment at the domestic level. Earlier the brokerage had given a target price of Rs 137 but now it has reduced it to Rs 127. Shares of Gail India today i.e. on December 20 closed at Rs 97.85, up 0.46 per cent. Similarly, the brokerage is estimating a gain of 30 per cent in GAIL shares.
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brokerage statement
ICICI Securities has said that the supply of gas to GAIL from Gazprom has been stopped since May 2022 and has not been restored yet. To meet this shortage, the company has reduced the gas supplied to the fertilizer and power sectors. This constraint is expected to continue till the first half of the brokerage’s financial year 2023-24. Also, the brokerage said that since the regulatory environment at the domestic level has improved and PNGRB has moved forward on the long pending issue of tariff and capex inclusion. Customers will also benefit from the integrated tariff, as well as GAIL is also expected to benefit from it. According to the brokerage, its EPS in 2023 and 2024 has decreased by 10 and 9 percent respectively. The brokerage has given three reasons behind this. The first is the low trading margin. Second, reduction in the volume of petrochemical and third reduction in transmission volume work. Despite this, the brokerage has maintained buy rating on it.
stock market closed down
Today there was a decline in the stock market. The Sensex fell 103 points or 0.17 per cent to close at 61702 on December 20. At the same time, Nifty saw a decline of 35 points or 0.19 percent today and closed at 18385 level.
(Disclaimer: The stocks mentioned here are for informational purposes only. If you want to invest in it, first consult a Certified Investment Advisor. News18 will not be responsible for your profit or loss.)
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