संसद टीवी संवाद
क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान वित्तीय दुनिया में हो रहे बहुत सारे तकनीकी परिवर्तनों में से एक का उदाहरण है और अब नई चुनौतियों को स्वीकार करने के साथ-साथ प्रतिभूति बाज़ार सहित मुद्रा बाज़ारों के लिये एक नए एकीकृत विनियमन की अनुमति देने का मौका क्रिप्टो करेंसी क्या होता है है।
यह डिजिटल तकनीक में एक नई क्रांति पैदा कर सकती है जिसे भारत खोना नहीं चाहेगा, लेकिन साथ ही वह आंतरिक सुरक्षा और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर भी जोखिम नहीं उठा सकता है।
विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
Digital Rupee क्या देसी Cryptocurrency है या फिर कुछ और? बिटकॉइन से कितना अलग है
Digital Rupee: 1 दिसंबर से RBI डिजिटल रुपया की लॉन्चिंग के साथ करेंसी के एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. बहुत से लोग इसे देसी क्रिप्टोकरेंसी जैसा समझ रहे हैं. आइए जानते हैं डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग है. पहले ये सेवा देश के चार शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च की जा रही है.
अभिषेक मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 01 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 01 दिसंबर 2022, 7:37 PM IST)
RBI का डिजिटल रुपया यानी देश में करेंसी का एक नया दौर शुरू हो चुका है. आज से दिल्ली समेत देश के चार शहरों में आम लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि, इस डिजिटल करेंसी को लेकर लोग काफी ज्यादा कन्फ्यूज हैं. लोग इसे क्रिप्टोकरेंसी समझ रहे हैं. हालांकि, आप इसे कमोबेश वैसा ही समझ सकते हैं, लेकिन मूल रूप से दोनों में काफी ज्यादा अंतर है.
डिजिटल रुपया का ऐलान इस साल के बजट में किया गया था. गुरुवार यानी 1 दिसंबर को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), जिसे डिजिटल रुपया कहा जा रहा है, को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया है. पहले फेज में इस प्रोजेक्ट को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है.
इन शहरों में कस्टमर और मर्चेंट्स डिजिटल रुपया का इस्तेमाल कर सकेंगे. दूसरे चरण में इसका विस्तार कई अन्य शहरों में भी किया जाएगा. मगर क्रिप्टो करेंसी क्या होता है डिजिटल रुपया है क्या? ये अभी भी बहुत से लोगों के लिए सवाल बना हुआ है. आइए जानते हैं इसका आसान जवाब.
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क्या है डिजिटल रुपया?
इसे आप कैश का डिजिटल वर्जन समझ सकते हैं और इसे शुरुआत में रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए पेश किया गया है. इसे खर्च करना ठीक वैसा ही होगा, जैसे आप अपने पर्स से पैसे खर्च करते हैं. हालांकि, ये डिजिटल वॉलेट या UPI से भी काफी अलग है. भविष्य में इसका इस्तेमाल सभी प्राइवेट सेक्टर, नॉन- फाइनेंशियल कस्टमर्स और बिजनसेस द्वारा किया जा सकेगा.
इस सीधा कंट्रोल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होगा. आसान भाषा में कहें तो जिस तरह से आप आज के वक्त में कैश इस्तेमाल करते हैं, ये ठीक वैसा ही रहेगा, लेकिन इसका रूप डिजिटल होगा. e₹-R डिजिटल टोकन के रूप में होगा और इनको आप सिक्कों व नोट की तरह ही कर काम में ले सकेंगे.
यूजर्स डिजिटल रुपया का यूज पार्टिसिपेटिंग बैंक के जरिए कर सकेंगे. इन्हें मोबाइल फोन्स और डिवाइसेस में क्रिप्टो करेंसी क्या होता है स्टोर भी किया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल पर्सन-टू-पर्सन और पर्सन-टू-मर्चेंट दोनों तरह के ट्रांजेक्शन में किया जा सकता है.
आरबीआई ने डिजिटल रुपया को दो कैटेगरी में लॉन्च किया है. बैंक ने इसे जनरल पर्पज (रिटेल) और होलसेल दो रूप में पेश किया है. 1 नवंबर को RBI ने डिजिटल रुपया को होलसेल सेगमेंट में लॉन्च किया था.
क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग है?
एक सवाल ये भी मन में आता है कि क्या डिजिटल रुपया भी क्रिप्टोकरेंसी ही है. वैसे तो ये है भी और नहीं भी. क्रिप्टोकरेंसी मूल रूप से डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी होती है. यानी इसका कंट्रोल किसी एक बैंक या ऑर्गेनाइजेशन के पास नहीं होता है और इसे ब्लॉकचेन के जरिए मैनेज किया जाता है.
वहीं डिजिटल रुपया जिसे आरबीआई ने लॉन्च किया है, एक सेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी है. इसके सेंट्रल बैंक द्वारा कंट्रोल किया जाएगा. यानी ये मौजूदा करेंसी का डिजिटल रूप है.
क्या हैं इसके फायदे?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुरुआत में कहा था कि डिजिटल करेंसी को एक्सप्लोर करने का मूल मकसद फिजिकल कैश मैनेजमेंट में ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करना है. इसके अलावा डिजिटल रुपया का इस्तेमाल ऑनलाइन फ्रॉड्स को कम करने में किया जा सकेगा. साथ ही लोगों को प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की ओर जाने से रोकने में भी मदद मिलेगी.
जहां प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी अस्थिर हैं, वहीं डिजिटल रुपया के साथ ऐसा नहीं होगा. इसमें आपको रुपये की तरह ही स्थिरता देखने को मिलेगी. इसे उसी वैल्यू पर जारी किया गया है, जो आज हमारे रुपये की है. लोग डिजिटल रुपया को फिजिकल कैश में भी बदल सकेंगे. इसके सर्कुलेशन पर आरबीआई का कंट्रोल होगा.
कौन-कौन से बैंक हैं शामिल?
इस प्रोजेक्ट में क्रिप्टो करेंसी क्या होता है 8 बैंक शामिल होंगे. शुरुआत में चार बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, Yes बैंक और IDFC First बैंक इस पायलेट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. बाद में बैंक ऑफ बड़ोदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होंगे.
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
RBI ने अभी इसे होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है और इसे होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट नाम दिया है. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती क्रिप्टो करेंसी क्या होता है है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे क्रिप्टो करेंसी क्या होता है बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
Jagran Trending: क्या है क्रिप्टोकरेंसी और अपने देश में इसके कारोबार से जुड़े नियम, जानें एक्सपर्ट की राय
किसी भी एसेट की एक Underlying Value होती है लेकिन Cryptocurrencies का कोई अंडरलाइंग वैल्यू नहीं है। शेयरों के मामले में आपको पता होता है कि कंपनी का प्रदर्शन कैसा चल रहा क्रिप्टो करेंसी क्या होता है है और शेयरों की कीमतें ऊपर जाएंगी या नीचे क्रिप्टो के मामले में ऐसा नहीं है
नई दिल्ली, मनीश कुमार मिश्र। Cryptocurrency के प्रति हाल के वर्षों में लोगों का आकर्षण बढ़ा है और भारतीय इसमें पीछे नहीं हैं। कुछ देशों ने जहां Cryptocurrency को मान्यता दे दी है वहीं, कुछ देशों में यह पूर्णत: प्रतिबंधित है। अपने देश में भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ नियम हैं, जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे। पहले ये जानते हैं कि Cryptocurrencies हैं क्या और ये किस टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं।
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स क्रिप्टो करेंसी क्या होता है के सीईओ पंकज मठपाल ने क्रिप्टोरेंसी के बारे में बताते हुए कहा कि यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित डिजिटल करेंसी है जिसे क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित किया है। ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ इसके यूजर्स ही कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी सुरक्षित तो है ही पारदर्शी भी है। यह इतना सुरक्षित है कि इसके एडमिनिस्ट्रेटर भी इसमें अपने फायदे के लिए बदलाव नहीं कर सकते।
क्रिप्टोकरेंसी से ट्रांजैक्शन
मठपाल ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल वॉलेट में स्टोर की जाती है और इसे आप दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आप किसी वस्तु या सेवाओं को खरीदने में कर सकते हैं या इसकी ट्रेडिंग कर सकते हैं या इसके बदले कैश भी ले सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग
मठपाल ने बताया कि एक तरफ जहां स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग पूरी तरह रेगुलेटेड है। आपको यह भी पता होता है कि शेयर बेचने के कितने दिन बाद आपके अकाउंट में पैसे आ जाएंगे। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा कोई रेगुलेशन नहीं है। आप ब्रोकर या क्रिप्टो एक्सचेंजों के जरिए इसकी खरीद-बिक्री कर सकते हैं। यहां बेचने वाले और खरीदने वाले की पहचान उजागर नहीं की जाती।
क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में क्यों आता है उतार-चढ़ाव
मठपाल के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंडरलाइंग एसेट नहीं होता। आप शेयर खरीदते हैं तो आपको पता होता है कि कंपनी के एसेट्स और लाइबिलिटीज क्या हैं। आप जानते हैं कि कंपनी का मुनाफा बढ़ेगा या कंपनी से जुड़ी कोई पॉजिटिव खबर आएगी तो शेयर की कीमतें बढ़ेंगी और आपको मुनाफा होगा। क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें सिर्फ मांग और आपूर्ति से प्रभावित होती हैं। इसमें कितना उतार-चढ़ाव आ सकता है, आप इसका अनुमान नहीं लगा सकते।
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क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स
मठपाल के अनुसार इस साल पेश हुए बजट में यह प्रावधान किया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी बेचने पर निवेशकों को 30 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स देना होगा। उन्होंने बताया कि मान लीजिए कोई व्यक्ति 50000 रुपये की क्रिप्टोकरेंसी खरीदता है और उसे मुनाफे में चाहे 60,000 रुपये में बेचे या घाटे में 25,000 रुपये में, उसे 30 प्रतिशत की दर से ही टैक्स देना होगा।
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त होने क्रिप्टो करेंसी क्या होता है के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
RBI ने अभी इसे होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है और इसे होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट नाम दिया है. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर क्रिप्टो करेंसी क्या होता है है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
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