#WATCH: We're building world's most extensive public info infrastructure; used technology to deliver over 1.1 billion vaccine doses; investing in telecom technology such as 5G, 6G. India has the world's 3rd largest & fastest-growing start-up ecosystem: PM Modi at Sydney Dialogue pic.twitter.com/3gcbbfCY6v— ANI (@ANI) November 18, 2021

Digital Rupee क्या देसी Cryptocurrency है या फिर कुछ और? बिटकॉइन से कितना अलग है

RBI का डिजिटल रुपया यानी देश में करेंसी का एक नया दौर शुरू हो चुका है. आज से दिल्ली समेत देश के चार शहरों में आम लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि, इस डिजिटल करेंसी को लेकर लोग काफी ज्यादा कन्फ्यूज हैं. लोग इसे क्रिप्टोकरेंसी समझ रहे हैं. हालांकि, आप इसे कमोबेश वैसा ही समझ सकते हैं, लेकिन मूल रूप से दोनों में काफी ज्यादा अंतर है.

डिजिटल रुपया का ऐलान इस साल के बजट में किया गया था. गुरुवार यानी 1 दिसंबर को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), जिसे डिजिटल रुपया कहा जा रहा है, को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया है. पहले फेज में इस प्रोजेक्ट को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है.

इन शहरों में कस्टमर और मर्चेंट्स डिजिटल रुपया का इस्तेमाल कर सकेंगे. दूसरे चरण में इसका विस्तार कई अन्य शहरों में भी किया जाएगा. मगर डिजिटल रुपया है क्या? ये अभी भी बहुत से लोगों के लिए सवाल बना हुआ है. आइए जानते हैं इसका आसान जवाब.

क्या है डिजिटल रुपया?
इसे आप कैश का डिजिटल वर्जन समझ सकते हैं और इसे शुरुआत में रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए पेश किया गया है. इसे खर्च करना ठीक वैसा ही होगा, जैसे आप अपने पर्स से पैसे खर्च करते हैं. हालांकि, ये डिजिटल वॉलेट या UPI से भी काफी अलग है. भविष्य में इसका इस्तेमाल सभी प्राइवेट सेक्टर, नॉन- फाइनेंशियल कस्टमर्स और बिजनसेस द्वारा किया जा सकेगा.

इस सीधा कंट्रोल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होगा. आसान भाषा में कहें तो जिस तरह से आप आज के वक्त में कैश इस्तेमाल करते हैं, ये ठीक वैसा ही रहेगा, लेकिन इसका रूप डिजिटल होगा. e₹-R डिजिटल टोकन के रूप में होगा और इनको आप सिक्कों व नोट की तरह ही कर काम में ले सकेंगे.

यूजर्स डिजिटल रुपया का यूज पार्टिसिपेटिंग बैंक के जरिए कर सकेंगे. इन्हें मोबाइल फोन्स और डिवाइसेस में स्टोर भी किया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल पर्सन-टू-पर्सन और पर्सन-टू-मर्चेंट दोनों तरह के ट्रांजेक्शन में किया जा सकता है.

आरबीआई ने डिजिटल रुपया को दो कैटेगरी में लॉन्च किया है. बैंक ने इसे जनरल पर्पज (रिटेल) और होलसेल दो रूप में पेश किया है. 1 नवंबर को RBI ने डिजिटल रुपया को होलसेल सेगमेंट में लॉन्च किया था.

क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग है?
एक सवाल ये भी मन में आता है कि क्या डिजिटल रुपया भी क्रिप्टोकरेंसी ही है. वैसे तो ये है भी और नहीं भी. क्रिप्टोकरेंसी मूल रूप से डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी होती है. यानी इसका कंट्रोल किसी एक बैंक या ऑर्गेनाइजेशन के पास नहीं होता है और इसे ब्लॉकचेन के जरिए मैनेज किया जाता है.

वहीं डिजिटल रुपया जिसे आरबीआई ने लॉन्च किया है, एक सेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी है. इसके सेंट्रल बैंक द्वारा कंट्रोल किया जाएगा. यानी ये मौजूदा करेंसी का डिजिटल रूप है.

क्या हैं इसके फायदे?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुरुआत में कहा था कि डिजिटल करेंसी को एक्सप्लोर करने का मूल मकसद फिजिकल कैश मैनेजमेंट में ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करना है. इसके अलावा डिजिटल रुपया का इस्तेमाल ऑनलाइन फ्रॉड्स को कम करने में किया जा सकेगा. साथ ही लोगों को प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की ओर जाने से रोकने में भी मदद मिलेगी.

जहां प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी अस्थिर हैं, वहीं डिजिटल रुपया के साथ ऐसा नहीं होगा. इसमें आपको रुपये की तरह ही स्थिरता देखने को मिलेगी. इसे उसी वैल्यू पर जारी किया गया है, जो आज हमारे रुपये की है. लोग डिजिटल रुपया को फिजिकल कैश में भी बदल सकेंगे. इसके सर्कुलेशन पर आरबीआई का कंट्रोल होगा.

कौन-कौन से बैंक हैं शामिल?
इस प्रोजेक्ट में 8 बैंक शामिल होंगे. शुरुआत में चार बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, Yes बैंक और IDFC First बैंक इस पायलेट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. बाद में बैंक ऑफ बड़ोदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होंगे.

RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?

RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की पहली डिजिटल करेंसी के रूप में ई-रुपी (e-rupee) का पायलट लॉन्च कर दिया है। इसका इस्तेमाल विशेष उपयोग के मामलों में किया जाएगा। RBI की ओर से कहा गया है कि शुरुआत में देश के नौ बैंक इस ई-रुपी का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निपटाने के लिए करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपी और यह करेंसी के रूप में कैसे काम करेगा।

RBI ने क्या जारी किया है बयान?

RBI द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में ई-रुपी का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इसमें देश के नौ बैंक शामिल होंगे और वह सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान में इसका उपयोग करेंगे। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल है।

क्या है ई-रुपी?

RBI ने डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी को CBDC नाम दिया है। यह किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है, लेकिन इसका रूप अलग होगा। RBI द्वारा जारी डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप लिया जाएगा। यह RBI की बैलेंस शीट पर देनदारी के तौर पर दिखेगी।

कितने प्रकार की होती है CBDC?

केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी। वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।

डिजिटल करेंसी का क्या होगा फायदा?

केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा। इसी तरह व्यापार में पैसो का लेनदेन आसान होगा, मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेनदेन होगा, नकली नोट की समस्या से छुटकारा मिलेगा, नोटों की छपाई का खर्च बचेगा, इसकी अवधि कागज के नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी।

CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर?

RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।

क्या ई-रुपी का इस्तेमाल करना चाहिए और यह गोपनीय होगा?

RBI के अनुसार, बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल के लिए इसे गोपनीय रखने की आवश्यकता होगी। हालांकि, डिजिटल लेनदेन में कुछ सबूत होने के कारण यह एक चुनौती हो सकती है। केंद्रीय बैंकों का कहना है कि CBDC के डिजाइन में गोपनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। खासकर नकद भुगतान से जुड़ी गोपनीयता के समान छोटे मूल्य के खुदरा लेनदेन के मामले में यह गोपनीय होना चाहिए। इससे लोगों को अपनी आय गुप्त रखने में मदद मिलेगी।

क्या ई-रुपी के जरिए ऑफलाइन लेनदेन किया जा सकेगा?

RBI ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है। उसे इसे भी ऑफलाइन मोड में शामिल करना होगा, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोग आज भी अच्छी इंटरनेट सुविधा से अछूते हैं। हालांकि, ऑफलाइन मोड में दोहरे खर्च के साथ सुरक्षात्मक खतरे भी हैं। इसमें एक टोकन तकनीकी रूप से CBDC लेजर को अपडेट किए बिना दो बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सुरक्षात्मक उपाय कर सकते हैं।

डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

डिजिटल करेंसी पर RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी आशंका नहीं रहेगी। सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच होगी और पैसों के देश में आने या बाहर जाने पर बेहतर नियंत्रण होगा। इससे सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाएं भी बना सकेगी। यह प्रणाली देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।

सिडनी संवाद: पीएम मोदी ने क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन को लेकर कही ये बड़ी बात

ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच गहरी दोस्ती है, समय के साथ हमारे संबंध और आगे बढ़ेंगे.

sydney dialogue /pm modi

Sydney Dialogue : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सिडनी संवाद' में ‘भारत में प्रौद्योगिकी विकास तथा क्रांति' विषय पर मुख्य संबोधन हुआ. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हम बदलाव के दौर में हैं जो एक युग में एक बार होता है. डिजिटल युग में हमारे चारों ओर सब कुछ बदल रहा है. इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को फिर से परिभाषित किया है. यह संप्रभुता, शासन, नैतिकता, कानून, अधिकारों और सुरक्षा पर नए सवाल उठा रहा है.

अपने संबोधन की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोगों के लिए बड़े सम्मान की बात है कि आपने मुझे सिडनी डायलॉग के संबोधन के लिए आमंत्रित किया. मैं इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उभरती डिजिटल दुनिया में भारत की केंद्रीय भूमिका की मान्यता के रूप में देखता हूं.

क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन का जिक्र

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए क्रिप्टो-मुद्रा या बिटकॉइन को लें. यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर एक साथ काम करें और सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी खराब कर सकता है.

Take crypto-currency or bitcoin for example.

It is important that all democratic nations work together on this and ensure it does not end up in wrong hands, which can spoil our youth: PM @narendramodi

— PMO India (@PMOIndia) November 18, 2021

चुनौती को अवसर के रूप में लेकर हमें आगे बढ़ना होगा : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि चुनौती को अवसर के रूप में लेकर हमें आगे बढ़ना होगा. प्रौद्योगिकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख साधन बन गई है, ये भविष्य की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में मदद करेगी. प्रौद्योगिकी और डेटा नए हथियार बन रहे हैं. हमें वेस्टर्न इंटरेस्ट के स्वार्थों को इसका दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए.

भारत भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिडनी संवाद' को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को क्षेत्र और दुनिया के लिए कल्याणकारी बताया. उन्होंने कहा कि एक लोकतंत्र और डिजिटल लीडर के रूप में भारत अपनी साझा समृद्धि और सुरक्षा मे भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है.

1.3 अरब से अधिक भारतीयों की अपनी अलग डिजिटल पहचान

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हम दुनिया की सबसे व्यापक जन सूचना अवसंचना विकसित कर रहे हैं. 1.3 अरब से अधिक भारतीयों की अपनी अलग डिजिटल पहचान है. भारत 6,00,000 गांव को ब्रॉडबैंड से जोड़ने के मार्ग पर अग्रसर है. हमने भारत में डाटा संरक्षण, निजता और सुरक्षा के लिए मजबूत ढांचा तैयार किया है.

#WATCH: We're building world's most extensive public info infrastructure; used technology to deliver over 1.1 billion vaccine doses; investing in telecom technology such as 5G, 6G. India has the world's 3rd largest & fastest-growing start-up ecosystem: PM Modi at Sydney Dialogue pic.twitter.com/3gcbbfCY6v

— ANI (@ANI) November 18, 2021

ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच गहरी दोस्ती

ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच गहरी दोस्ती है, समय के साथ हमारे संबंध और आगे बढ़ेंगे. हम अंतरिक्ष, विज्ञान, डिजिटल प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में बहुत प्रगति कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के लिए सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'सिडनी डायलॉग' को संबोधित कर रहे हैं.

‘सिडनी संवाद' 17 से 19 नवंबर तक

‘सिडनी संवाद' 17 से 19 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है. यह ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट' की एक पहल है.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे ने दिया भाषण

‘सिडनी संवाद' दरअसल राजनेताओं, उद्योग क्षेत्र की हस्तियों और शासन प्रमुखों को व्‍यापक चर्चा करने, नए विचार सृजित करने और उभरती एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न अवसरों एवं चुनौतियों की सामान्य समझ विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए एक मंच पर लाएगा. ‘सिडनी संवाद' में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भी मुख्य भाषण दिया.

रिटेल ट्रांजैक्शन में भी डिजिटल करेंसी, इन पांच बैंकों को आरबीआई सौंपेगा प्रोजेक्ट का जिम्मा

LagatarDesk : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 नवंबर को डिजिटल रुपया लॉन्च किया. इस डिजिटल करेंसी का नाम E-Rupee रखा गया. हालांकि अभी होलसेल बिजनेस के ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन बहुत जल्द रिटेल बिजनेस के ट्रांजैक्शन में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. रिटेल डिजिटल करेंसी लाने बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी के लिए आरबीआई ने 5 बैंकों के नाम शॉर्टलिस्ट किये हैं. (पढ़ें, ED ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट, 51 सांसद और 71 विधायकों पर मनी लॉन्ड्रिंग केस, मनीष सिसोदिया का भी नाम)

शॉर्टलिस्ट किये गये 5 बैंकों में से 4 का नाम आया सामने

रिपोर्ट्स के अनुसार, शॉर्टलिस्ट पांच बैंकों में से अभी केवल चार बैकों के नाम सामने आये हैं. ये चार बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचडीएफसी बैंक हैं. बैंकों के साथ नेशनल पेंमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और आरबीआई की भूमिका भी अहम होगी. जानकारी के मुताबिक, कुछ ग्राहकों और मर्चेंट के अकाउंट से रिटेल डिजिटल रुपये का पायलट प्रोग्राम बहुत जल्द शुरू होगा. आने वाले समय में शॉर्टलिस्ट किये गये बैंकों में कुछ और भी बैंकों को शामिल किया जायेग, जो रिटेल सीबीडीसी ट्रांजैक्शन शुरू करेंगे.

आरबीआई इन चीजों पर कर रहा विचार

रिपोर्ट्स के अनुसार, रिजर्व बैंक इस संभावना पर गौर कर रहा है कि रिटेल सीबीडीसी या रिटेल डिजिटल करेंसी को मौजूदा डिजिटल पेमेंट के साथ जोड़ना है या नहीं. केंद्रीय बैंक यह भी जानने की कोशिश कर रहा है कि डिजिटल करेंसी के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाना चाहिए या खुदरा सीबीडीसी को वर्तमान डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ इंटरऑपरेबल बनाया जाना चाहिए.

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पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने गये बैंकों में ग्राहकों की संख्या

एचडीएफसी बैंक के कुल ग्राहकों की तादाद 680 लाख से ज्यादा है. इस बैंक की देशभर में 6342 शाखाएं हैं. यह बैंक प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा बैंक है. इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक का नाम है. आईसीआईसीआई बैंक की भारत में 5,534 शाखाएं और 13,222 एटीएम नेटवर्क हैं. इस बैंक के 240 लाख से अधिक ग्राहक हैं. रिटेल सीबीडीसी के लिए एसबीआई को भी चुना गया है. स्टेट बैंक देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक है. इस बैंक के 45 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं, जिसके नेटवर्क में 22000 बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी से अधिक शाखाएं और 62617 एटीएम हैं. दुनिया के 31 देशों में इस बैंक की 229 शाखाएं हैं. रिटेल सीबीडीसी पायलट प्रोजेक्ट में अगला नाम आईडीएफसी फर्स्ट का है. इस बैंक के कुल ग्राहकों की तादाद 73 लाख है.

डिजिटल करेंसी की ओर पहला कदम

आदित्य चोपड़ा| भारत के विकास में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसकी वजह से ई-गवर्नेंस व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। कोरोना काल में डिजिटल तकनीक का बहुत उपयोग हुआ है। देश की गरीब आबादी तक पहुंचने वाली कई योजनाओं का आधार यही कार्यक्रम है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों के खाते में नगदी के सीधे हस्तांतरण में इसका काफी उपयोग हुआ है। डिजिटल इंडिया भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक, आर्थिक विकास में आक्सीजन की भूमिका ​निभा रहा है। अब हमने डिजिटल करेंसी की ओर पहला पग बढ़ा दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इलैक्ट्रानिक वाउचर बेस्ड पेमेंट सिस्टम ई-रूपी को लांच कर दिया है। यह एक पर्सन-स्पेसिफिक और पर्पज स्पेसिफिक पेमेंट सिस्टम होगा। ई-रूपी एक बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी कैशलेस और कान्टैक्टलैस डिजिटल पेमेंट माध्यम होगा जो लाभार्थी के मोबाइल फोन में एसएमएस-स्ट्रिग या क्यू आर कोड के तौर पर आएगा। शुरूआत में यह एक प्रीपेड गिफ्ट वाउचर की तरह होगा और विशेष केन्द्रों पर बिना किसी क्रेडिट या डेविट कार्ड, मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के रिडक्षम किया जा सकेगा। किसी भी कार्पोरेट या सरकारी एजैंसी को अगर किसी को किसी उद्देश्य के लिए भुगतान करता है तो उन्हें सहयोगी सरकारी बैंक या प्राइवेट बैंक से सम्पर्क करना होगा। अमेरिका, कोलम्बिया, स्वीडन, चिली और हांगकांग जैसे देशों में एजूूकेशन वाउचर्स या स्कूल वाउचर्स का एक सिस्टम है जिसके जरिये सरकार छात्रों को पढ़ाई के लिए भुगतान करती है। यह सब्सिडी सरकारें सीधे माता-पिता को अपने बच्चों को शिक्षित करने के विशेष उद्देश्य से दी जाती है। भारत में फिलहाल इसका उपयोग सरकारी योजनाओं में किया जाएगा। निजी सैक्टर भी अगर अपने कर्मचारियों को सहायता देना चाहता है तो वह कर्मचारी कल्याण फंड या कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी प्रोग्राम के तहत इन डिजिटल वाउचर्स का उपयोग कर सकेंगे। ई-रूपी के लांच होने से देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को नया आयाम मिलेगा। जब 6 वर्ष पहले डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी तब बहुत से लोग इसकी आलोचना भी करते थे। उनका कहना था कि डिजिटल टैक्नीक तो अमीरों के लिए है, गरीब आदमी के पास साधन ही नहीं हैं। लेकिन देखते ही देखते काफी कुछ बदल गया। अब तो हर एक के हाथ में मोबाइल फोन है। अब यह टैक्नोलाजी गरीबों की मदद के लिए, उनकी प्रगति के लिए एक उपकरण के रूप में देख रहे हैं। आप अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो आप पाएंगे कि लोग मोबाइल बैंकिंग से ही कामकाज कर रहे हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी डिजिटल करेंसी लाने की योजना पर काम कर रहा है। ई-रूपी की लांचिंग के बाद देश में डिजिटल पेमेंट्स इंफ्रा में डिजिटल करेंसी को लेकर कितनी क्षमता है, इसका आकलन किया जा सकेगा। इस समय जिस रु​पए को हम सभी लेन-देन के लिए इस्तेमाल करते हैं, वह ई-रूपी के लिए अंडरलाइंग एसेट का काम करेगा। ई-रूपी और ​वर्च्युअल करेंसी अलग-अलग चीजें हैं।​ डिजिटल करेंसी रुपए का इलैक्ट्रानिक्स रूप होगा। यह उसी तरह काम करेगा, जैसे आनलाइन पेमेंट सिस्टम काम करते हैं। यानी आप अपने फोन से भुगतान, पैसा ट्रांसफर कर सकेंगे। इससे कैश पर निर्भरता घटेगी। नोट छापने का खर्च बचेगा। नकद लेन-देन के सेटलमेंट में आसानी होगी। अगर विदेशी मुद्रा में लेन-देन करना है तो टाइम जोन के हिसाब से देरी नहीं होगी। चीन अपनी डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजैक्ट को पिछले साल से चला रहा है और दुनिया की पहली ऐसी मुद्रा का श्रेय बहामास को मिला है। दुनियाभर में डिजिटल करेंसी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। डिजिटल या वर्च्युअल करेंसी के अपने खतरे भी हैं।

केन्द्रीय बैंकों को बिटकॉइन जैसी आमासी मुद्रा की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बिटकॉइन का इस्तेमाल मनी लांड्रिंग, टैरर फंडिंग और अन्य अवैध गतिविधियों के ​लिए किया जा रहा है और सरकारी एजैंसियों के लिए ट्रैक करना काफी मुश्किल है। दरअसल बिटकॉइन का कोई माई-बाप नहीं। एक बार पैसा डूबा ता आप किसी को नहीं पकड़ सकते। जब तक आ रहा है तब तक आ रहा है। इस समय एक ​बिटकॉइन की कीमत 30 लाख के बराबर है। डिजिटल करेंसी लाकर वर्च्युअल पेमेंट के लिए लोगों को एक विकल्प देना अच्छा है। लेकिन इसके खतरों और चुनौतियों का सामना करने, उनका निवारण करने के उपाय भी हमें ढूंढने होंगे। रिजर्व बैंक के आधिकारी और विशेषज्ञ इस पर गहरा चिंतन मंथन कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बड़ी चुनौती है। डिजिटल इंफ्राक्ट्रक्चर में हमें साइबर सुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी होगी।

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